We need good politician to contest loksabha election: kejriwal

News in Hindi: नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर सामने आई आम आदमी पार्टी [आप] के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि आप अकेले दम पर लोकसभा चुनाव नहीं लड़ सकती है। एक निजी चैनल पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि ‘आप’ आज की गंदी राजनीति को साफ करने आई है। केजरीवाल ने कहा कि वह चाहते हैं कि अच्छे लोग चाहे वह भाजपा में हों या फिर कांग्रेस में या फिर किसी भी अन्य पार्टी में, उसे छोड़कर उनका साथ दें। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में भी उनके लिए भ्रष्टाचार, सांप्रदायिकता और महंगाई का मुद्दा ही सबसे बड़ा होगा। उनका कहना है कि आप के लिए राहुल गांधी, सोनिया गांधी और मुलायम सिंह यादव कोई मुद्दा नहीं है।

उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में समय काफी कम है। ऐसे में वह अपने दम पर चुनाव लड़ने का माद्दा नहीं रखती है। इसके लिए उन्हें और इमानदार नेता चाहिए। यदि कोई उनके साथ आना चाहता है तो वह उसका स्वागत करेंगे। केजरीवाल ने कहा कि इमानदार नेता भाजपा कांग्रेस और दूसरी पार्टियों में घुटन महसूस कर रह हैं और उनके सपंर्क में हैं, लेकिन इसका खुलासा वह समय आने पर ही करेंगे।

दिल्ली में सरकार बनाने के सवाल पर केजरीवाल का कहना था कि यदि आम जनता कहेगी तो वह सरकार बनाएंगे, अन्यथा नहीं। उन्होंने साफ किया कि यदि वह सरकार में आए तो सबसे पहले लोकपाल बिल पास कराएंगे। इसके साथ ही वह 15 वर्षो में शीला दीक्षित द्वारा किए गए भ्रष्टाचार के खिलाफ जांच कराएंगे। इतना ही नहीं भाजपा द्वारा एमसीडी में किए भ्रष्टाचार की जांच भी की जाएगी। केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में सरकार बनने पर वह जानते हैं कि कांग्रेस कुछ ही समय में अपना समर्थन वापस ले लेगी। लेकिन ऐसे में उसकी असलियत सामने आ जाएगी।

उन्होंने कांग्रेस और भाजपा पर चुटकी लेते हुए कहा कि यह दोनों सोच रहे हैं कि इन्होंने अरविंद केजरीवाल और आप को फांस लिया है, लेकिन हकीकत यह है कि यह खुद अपने ही जाल में फंस गए हैं। उन्होंने भाजपा और कांग्रेस पर जोड़तोड़ की घटिया राजनीति करने का लगाया। उन्होंने कहा कि इस बार भाजपा के मंसूबे दिल्ली में पूरे नहीं हो सके नहीं तो वह तीन दिनों में ही विधायकों की खरीद फरोख्त कर सरकार बना लेती।

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Winning and losing Factor in assembly election

नमो इफेक्ट

Delhi election  : इसके अनुपात पर मतभेद संभव है, लेकिन चुनावी सूबों के नतीजों में नरेंद्र मोदी इफेक्ट का असर जरूर दिखा। मध्य प्रदेश में 2003 से चली आ रही सत्ता की पारी बचाने में और पड़ोसी राज्य राजस्थान में कांग्रेस से राज छीनने में मोदी की सभाओं का भी असर दिखा। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और भाजपा की जीत का अंतर भले ही सबसे कम रहा हो , लेकिन रमन सरकार के लिए तीसरी पारी जुटाने में भी मोदी असर खारिज नहीं किया जा सकता ।

रमन का रंग

मोदी के बाद रमन सिंह भाजपा के दूसरे ऐसे मुख्यमंत्री हैं जिनकी अगुआई में भाजपा को सूबे में तीसरी बार सत्ता हासिल हुई । मुकाबला बेहद कड़ा होने और सत्ता विरोधी विपक्षी प्रचार के बावजूद रमन अपना किला बचाने में कामयाब हुए इसमें उनके व्यक्तिगत बेदाग छवि का बड़ा योगदान रहा।

शिवराज फैक्टर

मध्य प्रदेश की सत्ता में भाजपा की हैट्रिक के पीछे बड़ा फैक्टर शिवराज सिंह चौहान की आम आदमी छवि और सूबे में व्यक्तिगत लोकप्रियता भी रहा । शिवराज की अगुआई में भाजपा ने सत्ता विरोधी हवा को नकारने के साथ पिछले चुनाव से भी अधिक सीटें निकालने का करिश्मा कर दिखाया। मप्र वह सूबा है जहां भाजपा के पीएम उम्मीदवार मोदी ने भी सबसे कम सभाएं कीं।

केजरीवाल का करिश्मा

चुनाव प्रचार में अरविंद केजरीवाल अपने रेडियो संदेश में कहते थे दिल्ली में कुछ अद्भुत हो रहा है, आम आदमी पार्टी की जबरदस्त लहर है। सचमुच नतीजे भी अद्भुत हीं रहे। तीन बार से मुख्यमंत्री बनती आ रहीं शीला दीक्षित चुनावी राजनीति के नौसिखिए केजरीवाल के हाथों भारी मतों से हार गई। महज एक साल पुरानी पार्टी दिल्ली विधानसभा की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई।

हार के फैक्टर

बेअसर राहुल

कई चुनावों में सघन प्रचार अभियानों के वाबजूद कांग्रेस का नया चेहरा राहुल गांधी जनता को लुभाने में कामयाब नहीं हो सके । इस कड़वे सच को कांग्रेसी नेता भी अकेले में मानते हैं। छत्तीसगढ़ में राहुल की प्रचार सभाओं में दिखाई पड़ी भीड़ भी स्थानीय स्तर पर भाजपा सरकार के खिलाफ नराजगी के कारणों को मतदाताओं के भरोसे में नहीं बदल पाई। राहुल फार्मूले से राजस्थान और राजस्थान में प्रत्याशी चयन का प्रयोग भी धरा रह गया।

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Exit poll: bjp leads in four states

exit poll

Hindi News:  नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल माने जा रहे चार राज्यों के विधानसभा चुनावों के अंतिम नतीजे जो भी हों, एक्जिट पोल [मतदान बाद सर्वे] में भाजपा की पौ बारह हो गई है। इसके मुताबिक पांच में चार राज्यों में जहां केसरिया लहराएगा वहीं कांग्रेस के तीनों राज्यों में जनता ने बदलाव का संकेत दे दिया है।

इसी रुझान पर रविवार को नतीजे आए तो छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के गढ़ में हैट्रिक बनाते हुए भाजपा दिल्ली में 15 साल बाद कांग्रेस को उखाड़ेगी तो राजस्थान के रेगिस्तान में फिर कमल खिलेगा। कांग्रेस के लिए परेशानी का सबब यह है कि मिजोरम में भी वह बहुमत से दूर दिख रही है। वहां त्रिशंकु विधानसभा का रुझान है। लोकसभा चुनाव से पूर्व यह रुझान कांग्रेस को डरा सकता है।

पांच राज्यों के चुनाव बुधवार को समाप्त हुए तो अहम संकेत भी छोड़ गए। कम से कम रुझानों ने यह साबित कर दिया कि सामान्यतया चुनाव में अहम न माने जाने वाले महंगाई, भ्रष्टाचार और विकास इस बार तो मुद्दे थे ही, संभवत: आगे भी रहेंगे। इन्हीं मुद्दों पर कांग्रेस को घेर रहे राजग के प्रधानमंत्री उम्मीदवार नरेंद्र मोदी और भाजपा को इससे बड़ा आत्मबल मिल सकता है। दरअसल इस क्लीन स्वीप के बाद मोदी का दबदबा तो और बढ़ेगा ही, राजग के विस्तार की राहें भी खुल सकती हैं। इस बात को नकारा नहीं जा सकता है कि इसके बाद कांग्रेस अपने सहयोगियों के बीच घिरे।

ध्यान रहे कि इन चारों राज्यों में मोदी ने इस बार सघन प्रचार किया था। नवंबर में उनका 15 दिन इन्हीं राज्यों में बीता था। राजनैतिक रूप से इन विधानसभा चुनावों को लोकसभा का सेमीफाइनल माना जा रहा था। रुझानों ने फाइनल के लिए उत्साह बड़ा दिया है।

दरअसल यह वे राज्य हैं, जिनसे भाजपा बड़ी आशा लगाए बैठी है। लोकसभा चुनाव में जहां राजस्थान में प्रदर्शन सुधरने की आशा है, वहीं दिल्ली में सातों संसदीय सीट गंवा चुकी पार्टी इस बार इसे पूरी तरह पलटने की कोशिश करेगी।

भाजपा के इस उत्साह का कारण स्पष्ट है। रुझान के अनुसार जनता विकास के लिए छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में भाजपा को सराहती दिख रही है। वहीं उसने दिल्ली में विकास के बावजूद कांग्रेस सरकार को नकार दिया। जाहिर तौर पर यह बदलाव उसे सबसे ज्यादा भाएगा। शायद यही उत्साह केंद्र में कांग्रेस की दस साल पुरानी सरकार के खिलाफ लड़ाई में और ज्यादा बल देगा। राजस्थान में यूं तो सरकार बदलने की परंपरा रही है, लेकिन सर्वे में जिस तरह भाजपा के पक्ष में बढ़ोत्तरी दिखाई गई, वह कांग्रेस को परेशान कर सकता है।

दरअसल राजस्थान में कांग्रेस जाट आरक्षण, गुर्जर समर्थन जैसे कई समीकरणों को साधकर आश्वस्त हो रही थी। कई योजनाओं ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लोकप्रिय भी बनाया था।

कांग्रेस के लिए खतरनाक संकेत मिजोरम में भी है। दरअसल यहां कांग्रेस का मुकाबला क्षेत्रीय दलों से है, लेकिन एक्जिट पोल ने कांग्रेस को बहुमत से दो सीट पीछे रखा है। दिल्ली में आम आदमी पार्टी के लिए सिर्फ भ्रष्टाचार चुनावी मुद्दा था। उसके लिए जनता के समर्थन ने जहां इस मुद्दे को स्थापित किया वहीं महंगाई के खिलाफ भाजपा बिगुल बजाती रही थी।

जाग गए मतदाता

विधानसभा चुनाव के नतीजे जो भी हों, जनता ने यह बता दिया है कि लोकतंत्र अब सचमुच बहुमत से तय होगा। हर साल होते रहे चार पांच चुनावों की कड़ी में यह पहली बार हुआ कि सभी पांचों राज्यों में मतदान फीसद 70 के आस-पास या उसके कहीं आगे रहा। साथ ही यह संकेत भी मिल गया कि चुनावों में व्यक्ति भी अहम होता है। इसके लिए नरेंद्र मोदी के साथ-साथ रमन सिंह, शिवराज सिंह चौहान और अरविंद केजरीवाल को बड़ा कारण माना जा रहा है। चुनाव आयोग की कोशिशों के बीच यह राहत और आश्वासन का विषय है कि सामान्यता वोटिंग से दूर रहने वाला मध्यमवर्ग अब जाग गया है। पिछली बार की अपेक्षा इस बार सभी राज्यों में मतदान प्रतिशत में ऐतिहासिक वृद्धि हुई। दरअसल मतदान बढ़ने को सत्ता परिवर्तन से जोड़ा जाता रहा है।

लेकिन रुझान के अनुसार जनता विकास के लिए भी वोट डालती है। खासकर छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में संबंधित मुख्यमंत्री बहुत लोकप्रिय माना जा रहे थे। भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम छेड़कर राजनीति में आए केजरीवाल को दिल्ली में बढ़े मतदान का श्रेय दिया जा रहा है। तो मोदी का जादू अब कोई भी नहीं नकार रहा है।

किसको, कितनी सीटें (एक्जिट पोल नतीजे-2013)

दिल्ली (70)

पार्टी एबीपी न्यूज एसी नील्सन टाइम्स नाऊ सी वोटर इंडिया टुडे ओआरजी मार्ग टुडेज चाणक्य सीएनएन

आइबीएन सीएसडीएस 2008 की सीटें

भाजपा 37 29 40 – – 23

कांग्रेस 16 21 20 – – 43

आप 15 16 06 – – –

अन्य 02 04 04 – – 04

मध्यप्रदेश (230)

भाजपा 138 145 138 161 136-146 143

कांग्रेस 80 77 80 62 67-77 71

अन्य 12 08 12 7 7-27 16

राजस्थान (200*)

भाजपा – 130 110 147 126-136 78

कांग्रेस – 48 62 39 49-57 96

अन्य – 22 28 14 7-25 26

छत्तीसगढ़ (90)

भाजपा – 44 53 51 45-55 50

कांग्रेस – 41 33 39 32-40 38

अन्य – 05 04 0 0-5 02

Source- News in Hindi

Voting begins in delhi

delhi election

Hindi News: नई दिल्ली। दिल्ली में विधानसभा की 70 सीटों के लिए बुधवार को तय समय से चार मिनट की देरी से मतदान शुरू हुआ। सुबह ग्यारह बजे तक 17 फीसद मतदान हुआ है। इस दौरान आप, भाजपा व कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी ने अपना वोट डाला।

आज दिल्ली के करीब एक करोड़ उन्नीस लाख मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। दिल्ली में कुल 810 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं। कांग्रेस व भाजपा के बीच होने वाली पारंपरिक लड़ाई के बीच ‘आप’ के आने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है।

सुबह आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल, भाजपा के मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी डॉ. हर्षवर्धन ने वोट डाला। उसके बाद नई दिल्ली सीट के एक मतदान केंद्र पर मुख्यमंत्री शीला दीक्षित, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपना वोट डाला। दोनों कुछ देर आम लोगों की तरह वोट डालने के लिए अपनी बारी का इंतजार करती रहीं। बाद में उन्हें पुलिस के जवानों ने अलग से ले जाकर मतदान कराया। यहां भाजपा सांसद मेनका गांधी भी मतदान करने पहुंची, लेकिन उन्हें तवज्जो नहीं मिली और उन्होंने आम मतदाता की तरह ही वोट डाला।

इसी सीट पर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने भी अपना वोट डाला। औरंगजेब रोड स्थिति मतदान केंद्र पर आधे घंटे लाइन में खड़े रहने के बाद कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने करीब ग्यारह बजे मतदान किया। यहां 11:45 बजे तक 22 फीसद मतदान हुआ है। अब तक यहां 28 फीसद पुरुषों व 16 फीसद महिलाओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है।

दिल्ली चुनाव के मुख्य निर्वाचन अधिकारी विजय देव ने भी अपनी पत्‍‌नी के साथ नई दिल्ली विधानसभा में हनुमान रोड मतदान केंद्र पर मतदान किया। उन्होंने दिल्लीवासियों से अनिवार्य रूप से वोट डालने की अपील की।

इससे पहले, सुबह मतदान शुरू होने के आधे घंटे बाद कुछ स्थानों से इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों में गड़बड़ी कि शिकायत मिली। रजोकरी में पंद्रह नंबर बूथ पर एवं मुनीरका के मतदान केंद्र नंबर 127 में मशीन में खराबी आई। वहीं पंडारा रोड स्थित मतदान केंद्र में भी ईवीएम में गड़बड़ी की शिकायत मिली। कागज फंसने और बैटरी ढीली होने के कारण मशीन को जब्त कर लिया गया। उधर, आदर्श नगर स्टेशन के मतदान केंद्र पर आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने गड़बड़ी का आरोप लगाया। कार्यकर्ताओं के मुताबिक उन्हें मतदान केंद्र के पास उन्हें यहां टेबल लगाने से मना किया गया।

इस बीच, पूर्वी दिल्ली के मिली खबर के अनुसार यहां के पॉश इलाकों में मतदान प्रतिशत दोपहर 12 बजे तक कम रहा। खासतौर पर निर्माण विहार, प्रीत विहार, लक्ष्मी नगर और डिफेंस इन्क्लेव जैसे इलाकों में मतदान प्रतिशत कम रहा। वहीं अनाधिकृत कॉलोनियों और झुग्गी क्लस्टर का मतदान प्रतिशत ज्यादा रहा। पूर्वी दिल्ली में 12 बजे तक 15 फीसद मतदान रिकॉर्ड किया गया। विश्वास नगर स्थित मतदान केंद्र संख्या 161 में ईवीएम में गड़बड़ी की शिकायत मिली। इसके चलते यहां से भाजपा प्रत्याशी ओम प्रकाश शर्मा को मतदान के लिए आधा घंटा इंतजार करना पड़ा। पूर्वी दिल्ली के कई इलाकों में मतदान सूची में मतदाताओं के नाम गायब होने की शिकायत मिली। लक्ष्मी नगर विधानसभा क्षेत्र में बनाए गए मॉडल मतदान केंद्र में बुजुर्ग एवं शारीरिक रूप से अक्षम मतदाताओं को काफी सुविधा हो रही है। यहां व्हील चेयर और ई-रिक्शा की व्यवस्था की गई है।

उधर, सबसे हॉट सीट मानी जा रही नई दिल्ली पर सबकी निगाहें टिकी हैं। यहां मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के खिलाफ अरविंद केजरीवाल और भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता चुनाव लड़ रहे हैं। जानकारों का कहना है कि इस बार दिल्ली में भारी मतदान होने की संभावना है। अन्य राज्यों छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान और मिजोरम में भी रिकॉर्ड तोड़ वोट पड़े हैं।

Source- News in Hindi