(शिवम् अवस्थी), नई दिल्ली। आज से तकरीबन 30 साल पहले जब सचिन रमेश तेंदुलकर के बड़े भाई अजित रमेश तेंदुलकर ने अपने शरारती भाई को व्यस्त करने की ठानी तो उन्हें खींचकर वो सीधे मुंबई स्थित दादर के शिवाजी पार्क ले गए। अजित ने अपने भाई को वहां मौजूद चर्चित क्रिकेट कोच रमाकांत आचरेकर को सौंप दिया, धीरे-धीरे जब आचरेकर ने इस हुनरमंद की प्रतिभा को भांप लिया तो उन्हें मुंबई के ही शारदा आश्रम स्कूल में भर्ती करवा दिया..फिर क्या था, शिवाजी पार्क से शारदा आश्रम और शारदा आश्रम से ऐतिहासिक वानखेड़े स्टेडियम की पिच पर पहुंचने वाले इस खिलाड़ी ने 24 साल वो गदर मचाई जिसने क्रिकेट जगत को हिला कर रख दिया। सपनों को हकीकत में तब्दील करने वाले इस दिग्गज ने मुंबई के जिस स्टेडियम से अपने हुनर को एक पहचान दी, अब वही स्टेडियम उनकी विदाई का भी नजारा देखेगा। सही मायनों में 18 नवंबर को जब देश और खासतौर पर मुंबई का यह लाडला आखिरी बार मैदान पर उतरेगा, तब सिर्फ फैंस की आंखें नम नहीं होंगी बल्कि वानखेड़े का जर्रा-जर्रा भी सदा के लिए उदासीन हो जाएगा। बीसीसीआइ ने सचिन की आखिरी ख्वाइश पूरी करने का फैसला लिया है और अब वेस्टइंडीज के खिलाफ दूसरा व सचिन का अंतिम टेस्ट मुंबई में ही खेला जाएगा।
Source- Cricket News in Hindi
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